Teesri Jung

Krishna Chandra Verma =============== सुप्रीम कोर्ट जजों के विवाद में एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है… इस पूरे विवाद के पीछे एक संघी पत्रकार हेमंत शर्मा का होना बताया जा रहा है,,,जिसका बनारस और लखनऊ से गहरा रिश्ता है … जस्टिस अरुण मिश्रा ने स्वयं को जज लोया के केस से हटा लिया , कुछ लोग इसे प्रेस कांफ्रेन्स के बाद बढ़ते दबाव का नतीजा बता रहे हैं लेकिन यह मामला शुरू कहा से हुआ ??? सुप्रीम कोर्ट के चारो जस्टिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के विवाद में एक बेहद महत्वपूर्ण तथ्य विवेचना से छूट गया जो जज लोया के केस जितना ही महत्वपूर्ण था बल्कि कुछ संदर्भों में तो उस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था ओर इस तथ्य की तरफ मीडिया ने भी ध्यान नही दिलाया क्योंकि इस बारे में बाते करने पर उसके भी कई महत्वपूर्ण लोगो पर उंगलियां उठ रही थीं। आप को याद होगा जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रेस कॉनफ्रेंस के दौरान कहा, ‘करीब दो महीने पहले हम 4 जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और मुलाकात की। हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है। प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है। यह मामला एक केस के असाइनमेंट को लेकर था! वह केस क्या था ? यह बात सभी गोल कर गए , दरअसल वो केस मेडिकल कॉलेज घोटाले का था एक एनजीओ केंपेन फार ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफर्म्स (सीजेएआर) ने एक याचिका दायर कर मेडिकल कालेज के भ्रष्टाचार के मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी जिसमें ओडीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज आईएम कुद्दुसी के शामिल होने का आरोप था ।कुद्दुसी को पांच अन्य लोगों के साथ सीबीआई ने 21 सितंबर को गिरफ्तार किया था! FIR के मुताबिक कुदुसी ने भावना पांडेय के साथ मिलकर लखनऊ के प्रसाद इंस्टिटयूट ऑफ मेडिकल साइंस के मामले को सेटल करने की साजिश रची. ये उन 46 कॉलेज में से एक था जिस पर सरकार ने रोक लगा दी थी. इन कॉलेजों पर सरकार ने एक या दो साल के लिए मेडिकल सीटों पर दाखिले करने पर रोक लगा दी थी क्योंकि इनमें सुविधाएं मानक के अनुरूप नहीं थीं और ये तय मापदंडों को पूरा नहीं करते थे. आरोप यह था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर दूसरी कोर्टों को पक्ष में करने और उनसे मनमुताबिक फैसला लेने की कोशिश की थी । सीबीआई के सूत्रों ने ये दावा किया है कि उसके पास ऐसे 80 टेप हैं जिनमें मेडिकल स्कैम के आरोपियों की बातचीत है! इनमें से कुछ बातचीत में आरोपी कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मौजूदा जजों को रिश्वत देने की बात भी कर रहे हैं! अब इसमें मीडिया का क्या रोल था वह भी सुन लीजिए इस मामले का खुलासा पहली बार अगस्त में उस समय हुआ था जब सीबीआई ने आनन-फानन में एक टीवी चैनल के चर्चित पत्रकार “हेमंत शर्मा” को हिरासत में लिया था और फिर PMO के एक पावरफुल अफसर के कहने पर आनन-फानन में ही उन्हें छोड़ दिया गया! इंडिया टीवी में काम कर चुके इस वरिष्ठ पत्रकार के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी बेटी की शादी एक आईपीएस अफसर से हुई है और उस शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा और संघ के तमाम दिग्गज शामिल हुए थे! यानी मेडिकल कॉलेज वाला मामला सेटल कराने में कथित रूप से ब्यूरोक्रेट्स और नेताओ से लेकर बड़े पत्रकार और सुप्रीम कोर्ट, हाइ कोर्ट के जज तक शामिल थे! जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस जे चेलमेश्वर और एस अब्दुल नज़ीर की बेंच के सामने आया तो उन्होंने इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ के हवाले करने का आदेश दिया था! इसका कारण यह था कि इस केस में चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा पर भी सवाल उठे थे लेकिन यही से इस ऐतिहासिक विवाद की शुरुआत हुई जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट के चारो माननीय जजो को प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पड़ी! चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस चेलमेश्वर ओर अब्दुल नजीर के फैसले को मानने से साफ इनकार कर दिया! चीफ़ जस्टिस के नेतृत्व वाली जस्टिस आरके अग्रवाल, अरुण मिश्रा, अमिताब रॉय और एएम खान विल्कर की पीठ ने कहा, “चीफ़ जस्टिस के अधिकारों का उल्लंघन कैसे किया जा सकता है? कोई भी बेंच इस तरह से संविधान बेंच को निर्देश नहीं दे सकती.” चीफ़ जस्टिस ने कहा, “क्या कभी ऐसा हुआ है कि दो जजों की बेंच ने, इस तरह की बेंच गठित करने का निर्देश दिया हो? दो जजों की बेंच इस तरह से मामले को संवैधानिक पीठ के हवाले नहीं कर सकती. ये अधिकार मेरा है.”! ओर यही से चीफ जस्टिस का रोस्टर सम्बन्धी विवाद की नींव पड़ी, उस वक़्त इस मामले को लेकर प्रशांत भूषण से भरी अदालत में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से झड़प भी हो गयी थी! ये वही मामला था जिसके बाद से ही चारो जजो ओर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बीच मतभेद गहराते चले गए! इस विवाद का मूल प्रश्न यह था कि कोई जज उस मामले में कैसे न्यायाधीश की भूमिका निभा सकता है जिस मामले में वह खुद किसी न किसी प्रकार से आरोपी जो इस में शामिल हो । ज़ाहिर है कि जब मामले कि सुनवाई आगे बढ़ती तो सीबीआई से सारे टेप कोर्ट में मंगाये जाते और यहीं से चीफ़ जस्टिस से लेकर संघी पत्रकार ,उसकी PM और अमित शाह तक पहुंच ,साथ ही सरकार और पुरे सिस्टम की परतें उधड़ जातीं ! DECLIMER: WRITERS OWN VIEWS

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The Mirror

सच्चाई को आईना दिखता THE MIRROR जो आप देखते है वो सच्चाई नहीं आईने के पीछे की सच्चाई |

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